Surat Al-Israa (The Night Journey) - الإسراء
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17:78 أَقِمِ ٱلصَّلَوٰةَ لِدُلُوكِ ٱلشَّمْسِ إِلَىٰ غَسَقِ ٱلَّيْلِ وَقُرْءَانَ ٱلْفَجْرِ إِنَّ قُرْءَانَ ٱلْفَجْرِ كَانَ مَشْهُودًا ﴿٧٨﴾ (ऐ रसूल) सूरज के ढलने से रात के अंधेरे तक नमाज़े ज़ोहर, अस्र, मग़रिब, इशा पढ़ा करो और नमाज़ सुबह (भी) क्योंकि सुबह की नमाज़ पर (दिन और रात दोनों के फरिश्तों की) गवाही होती है | ||