Surat Al-Israa (The Night Journey) - الإسراء
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17:80 وَقُل رَّبِّ أَدْخِلْنِى مُدْخَلَ صِدْقٍ وَأَخْرِجْنِى مُخْرَجَ صِدْقٍ وَٱجْعَل لِّى مِن لَّدُنكَ سُلْطَٰنًا نَّصِيرًا ﴿٨٠﴾ وَقُلْ جَآءَ ٱلْحَقُّ وَزَهَقَ ٱلْبَٰطِلُ إِنَّ ٱلْبَٰطِلَ كَانَ زَهُوقًا﴿٨١﴾ और ये दुआ माँगा करो कि ऐ मेरे परवरदिगार मुझे (जहाँ) पहुँचा अच्छी तरह पहुँचा और मुझे (जहाँ से निकाल) तो अच्छी तरह निकाल और मुझे ख़ास अपनी बारगाह से एक हुकूमत अता फरमा जिस से (हर क़िस्म की) मदद पहुँचे और (ऐ रसूल) कह दो कि (दीन) हक़ आ गया और बातिल नेस्तनाबूद हुआ इसमें शक़ नहीं कि बातिल मिटने वाला ही था | ||