Surat Taa-Haa (Taa-Haa) - طه
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20:105 وَيَسْـَٔلُونَكَ عَنِ ٱلْجِبَالِ فَقُلْ يَنسِفُهَا رَبِّى نَسْفًا ﴿١٠٥﴾ فَيَذَرُهَا قَاعًا صَفْصَفًا﴿١٠٦﴾ لَّا تَرَىٰ فِيهَا عِوَجًا وَلَآ أَمْتًا﴿١٠٧﴾ يَوْمَئِذٍ يَتَّبِعُونَ ٱلدَّاعِىَ لَا عِوَجَ لَهُۥ وَخَشَعَتِ ٱلْأَصْوَاتُ لِلرَّحْمَٰنِ فَلَا تَسْمَعُ إِلَّا هَمْسًا﴿١٠٨﴾ يَوْمَئِذٍ لَّا تَنفَعُ ٱلشَّفَٰعَةُ إِلَّا مَنْ أَذِنَ لَهُ ٱلرَّحْمَٰنُ وَرَضِىَ لَهُۥ قَوْلًا﴿١٠٩﴾ يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَلَا يُحِيطُونَ بِهِۦ عِلْمًا﴿١١٠﴾ وَعَنَتِ ٱلْوُجُوهُ لِلْحَىِّ ٱلْقَيُّومِ وَقَدْ خَابَ مَنْ حَمَلَ ظُلْمًا﴿١١١﴾ وَمَن يَعْمَلْ مِنَ ٱلصَّٰلِحَٰتِ وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَلَا يَخَافُ ظُلْمًا وَلَا هَضْمًا﴿١١٢﴾ (और ऐ रसूल) तुम से लोग पहाड़ों के बारे में पूछा करते हैं (कि क़यामत के रोज़ क्या होगा) तो तुम कह दो कि मेरा परवरदिगार बिल्कुल रेज़ा रेज़ा करके उड़ा डालेगा और ज़मीन को एक चटियल मैदान कर छोड़ेगा कि (ऐ शख्स) न तो उसमें मोड़ देखेगा और न ऊँच-नीच उस दिन लोग एक पुकारने वाले इसराफ़ील की आवाज़ के पीछे (इस तरह सीधे) दौड़ पड़ेगे कि उसमें कुछ भी कज़ी न होगी और आवाज़े उस दिन खुदा के सामने (इस तरह) घिघियाएगें कि तू घुनघुनाहट के सिवा और कुछ न सुनेगा उस दिन किसी की सिफ़ारिश काम न आएगी मगर जिसको खुदा ने इजाज़त दी हो और उसका बोलना पसन्द करे जो कुछ उन लोगों के सामने है और जो कुछ उनके पीछे है (ग़रज़ सब कुछ) वह जानता है और ये लोग अपने इल्म से उसपर हावी नहीं हो सकते और (क़यामत में) सारी (खुदाई के) का मुँह ज़िन्दा और बाक़ी रहने वाले खुदा के सामने झुक जाएँगे और जिसने जुल्म का बोझ (अपने सर पर) उठाया वह यक़ीनन नाकाम रहा और जिसने अच्छे-अच्छे काम किए और वह मोमिन भी है तो उसको न किसी तरह की बेइन्साफ़ी का डर है और न किसी नुक़सान का | ||