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BackSurat Taa-Haa (Taa-Haa) - طه

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20:51

قَالَ فَمَا بَالُ ٱلْقُرُونِ ٱلْأُولَىٰ ﴿٥١﴾ قَالَ عِلْمُهَا عِندَ رَبِّى فِى كِتَٰبٍ لَّا يَضِلُّ رَبِّى وَلَا يَنسَى﴿٥٢﴾ ٱلَّذِى جَعَلَ لَكُمُ ٱلْأَرْضَ مَهْدًا وَسَلَكَ لَكُمْ فِيهَا سُبُلًا وَأَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءً فَأَخْرَجْنَا بِهِۦٓ أَزْوَٰجًا مِّن نَّبَاتٍ شَتَّىٰ﴿٥٣﴾ كُلُوا۟ وَٱرْعَوْا۟ أَنْعَٰمَكُمْ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَٰتٍ لِّأُو۟لِى ٱلنُّهَىٰ﴿٥٤﴾ مِنْهَا خَلَقْنَٰكُمْ وَفِيهَا نُعِيدُكُمْ وَمِنْهَا نُخْرِجُكُمْ تَارَةً أُخْرَىٰ﴿٥٥﴾ وَلَقَدْ أَرَيْنَٰهُ ءَايَٰتِنَا كُلَّهَا فَكَذَّبَ وَأَبَىٰ﴿٥٦﴾ قَالَ أَجِئْتَنَا لِتُخْرِجَنَا مِنْ أَرْضِنَا بِسِحْرِكَ يَٰمُوسَىٰ﴿٥٧﴾ فَلَنَأْتِيَنَّكَ بِسِحْرٍ مِّثْلِهِۦ فَٱجْعَلْ بَيْنَنَا وَبَيْنَكَ مَوْعِدًا لَّا نُخْلِفُهُۥ نَحْنُ وَلَآ أَنتَ مَكَانًا سُوًى﴿٥٨﴾ قَالَ مَوْعِدُكُمْ يَوْمُ ٱلزِّينَةِ وَأَن يُحْشَرَ ٱلنَّاسُ ضُحًى﴿٥٩﴾ فَتَوَلَّىٰ فِرْعَوْنُ فَجَمَعَ كَيْدَهُۥ ثُمَّ أَتَىٰ﴿٦٠﴾

फिर उसी ने ज़िन्दगी बसर करने के तरीक़े बताए फिरऔन ने पूछा भला अगले लोगों का हाल (तो बताओ) कि क्या हुआ मूसा ने कहा इन बातों का इल्म मेरे परवरदिगार के पास एक किताब (लौहे महफूज़) में (लिखा हुआ) है मेरा परवरदिगार न बहकता है न भूलता है वह वही है जिसने तुम्हारे (फ़ायदे के) वास्ते ज़मीन को बिछौना बनाया और तुम्हारे लिए उसमें राहें निकाली और उसी ने आसमान से पानी बरसाया फिर (खुदा फरमाता है कि) हम ही ने उस पानी के ज़रिए से मुख्तलिफ़ क़िस्मों की घासे निकाली (ताकि) तुम खुद भी खाओ और अपने चारपायों को भी चराओ कुछ शक नहीं कि इसमें अक्लमन्दों के वास्ते (क़ुदरते खुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं हमने इसी ज़मीन से तुम को पैदा किया और (मरने के बाद) इसमें लौटा कर लाएँगे और उसी से दूसरी बार (क़यामत के दिन) तुमको निकाल खड़ा करेंगे और मैंने फिरऔन को अपनी सारी निशानियाँ दिखा दी इस पर भी उसने सबको झुठला दिया और न माना (और) कहने लगा ऐ मूसा क्या तुम हमारे पास इसलिए आए हो कि हम को हमारे मुल्क (मिस्र से) अपने जादू के ज़ोर से निकाल बाहर करो अच्छा तो (रहो) हम भी तुम्हारे सामने ऐसा जादू पेश करते हैं फिर तुम अपने और हमारे दरमियान एक वक्त मुक़र्रर करो कि न हम उसके ख़िलाफ करे और न तुम और मुक़ाबला एक साफ़ खुले मैदान में हो मूसा ने कहा तुम्हारे (मुक़ाबले) की मीयाद ज़ीनत (ईद) का दिन है और उस रोज़ सब लोग दिन चढ़े जमा किए जाँए उसके बाद फिरऔन (अपनी जगह) लौट गया फिर अपने चलत्तर (जादू के सामान) जमा करने लगा

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