Surat Al-Anbiyaa (The Prophets) - الأنبياء
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21:102 لَا يَسْمَعُونَ حَسِيسَهَا وَهُمْ فِى مَا ٱشْتَهَتْ أَنفُسُهُمْ خَٰلِدُونَ ﴿١٠٢﴾ (यहाँ तक) कि ये लोग उसकी भनक भी न सुनेंगे और ये लोग हमेशा अपनी मनमाँगी मुरादों में (चैन से) रहेंगे | ||