Menu

BackSurat Al-Anbiyaa (The Prophets) - الأنبياء

>
>


21:103

لَا يَحْزُنُهُمُ ٱلْفَزَعُ ٱلْأَكْبَرُ وَتَتَلَقَّىٰهُمُ ٱلْمَلَٰٓئِكَةُ هَٰذَا يَوْمُكُمُ ٱلَّذِى كُنتُمْ تُوعَدُونَ ﴿١٠٣﴾ يَوْمَ نَطْوِى ٱلسَّمَآءَ كَطَىِّ ٱلسِّجِلِّ لِلْكُتُبِ كَمَا بَدَأْنَآ أَوَّلَ خَلْقٍ نُّعِيدُهُۥ وَعْدًا عَلَيْنَآ إِنَّا كُنَّا فَٰعِلِينَ﴿١٠٤﴾

और उनको (क़यामत का) बड़े से बड़ा ख़ौफ़ भी दहशत में न लाएगा और फ़रिश्ते उन से खुशी-खुशी मुलाक़ात करेंगे और ये खुशख़बरी देंगे कि यही वह तुम्हारा (खुशी का) दिन है जिसका (दुनिया में) तुमसे वायदा किया जाता था (ये) वह दिन (होगा) जब हम आसमान को इस तरह लपेटेगे जिस तरह ख़तों का तूमार लपेटा जाता है जिस तरह हमने (मख़लूक़ात को) पहली बार पैदा किया था (उसी तरह) दोबारा (पैदा) कर छोड़ेगें (ये वह) वायदा (है जिसका करना) हम पर (लाज़िम) है और हम उसे ज़रूर करके रहेंगे

This is a portion of the entire surah. View this verse in context, or view the entire surah here.