Surat An-Noor (The Light) - النور
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24:6 وَٱلَّذِينَ يَرْمُونَ أَزْوَٰجَهُمْ وَلَمْ يَكُن لَّهُمْ شُهَدَآءُ إِلَّآ أَنفُسُهُمْ فَشَهَٰدَةُ أَحَدِهِمْ أَرْبَعُ شَهَٰدَٰتٍۭ بِٱللَّهِ إِنَّهُۥ لَمِنَ ٱلصَّٰدِقِينَ ﴿٦﴾ وَٱلْخَٰمِسَةُ أَنَّ لَعْنَتَ ٱللَّهِ عَلَيْهِ إِن كَانَ مِنَ ٱلْكَٰذِبِينَ﴿٧﴾ और जो लोग अपनी बीवियों पर (ज़िना) का ऐब लगाएँ और (इसके सुबूत में) अपने सिवा उनका कोई गवाह न हो तो ऐसे लोगों में से एक की गवाही चार मरतबा इस तरह होगी कि वह (हर मरतबा) ख़ुदा की क़सम खाकर बयान करे कि वह (अपने दावे में) जरुर सच्चा है और पाँचवी (मरतबा) यूँ (कहेगा) अगर वह झूट बोलता हो तो उस पर ख़ुदा की लानत | ||