Surat Ash-Shu'araa (The Poets) - الشعراء
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26:115 إِنْ أَنَا۠ إِلَّا نَذِيرٌ مُّبِينٌ ﴿١١٥﴾ قَالُوا۟ لَئِن لَّمْ تَنتَهِ يَٰنُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلْمَرْجُومِينَ﴿١١٦﴾ قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوْمِى كَذَّبُونِ﴿١١٧﴾ فَٱفْتَحْ بَيْنِى وَبَيْنَهُمْ فَتْحًا وَنَجِّنِى وَمَن مَّعِىَ مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ﴿١١٨﴾ فَأَنجَيْنَٰهُ وَمَن مَّعَهُۥ فِى ٱلْفُلْكِ ٱلْمَشْحُونِ﴿١١٩﴾ ثُمَّ أَغْرَقْنَا بَعْدُ ٱلْبَاقِينَ﴿١٢٠﴾ मै तो सिर्फ (अज़ाबे ख़ुदा से) साफ साफ डराने वाला हूँ वह लोग कहने लगे ऐ नूह अगर तुम अपनी हरकत से बाज़ न आओगे तो ज़रुर संगसार कर दिए जाओगे नूह ने अर्ज की परवरदिगार मेरी क़ौम ने यक़ीनन मुझे झुठलाया तो अब तू मेरे और इन लोगों के दरमियान एक क़तई फैसला कर दे और मुझे और जो मोमिनीन मेरे साथ हें उनको नजात दे ग़रज़ हमने नूह और उनके साथियों को जो भरी हुई कश्ती में थे नजात दी फिर उसके बाद हमने बाक़ी लोगों को ग़रक कर दिया | ||