Surat Ash-Shu'araa (The Poets) - الشعراء
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26:177 إِذْ قَالَ لَهُمْ شُعَيْبٌ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿١٧٧﴾ إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ﴿١٧٨﴾ فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ﴿١٧٩﴾ وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ﴿١٨٠﴾ أَوْفُوا۟ ٱلْكَيْلَ وَلَا تَكُونُوا۟ مِنَ ٱلْمُخْسِرِينَ﴿١٨١﴾ وَزِنُوا۟ بِٱلْقِسْطَاسِ ٱلْمُسْتَقِيمِ﴿١٨٢﴾ وَلَا تَبْخَسُوا۟ ٱلنَّاسَ أَشْيَآءَهُمْ وَلَا تَعْثَوْا۟ فِى ٱلْأَرْضِ مُفْسِدِينَ﴿١٨٣﴾ وَٱتَّقُوا۟ ٱلَّذِى خَلَقَكُمْ وَٱلْجِبِلَّةَ ٱلْأَوَّلِينَ﴿١٨٤﴾ قَالُوٓا۟ إِنَّمَآ أَنتَ مِنَ ٱلْمُسَحَّرِينَ﴿١٨٥﴾ وَمَآ أَنتَ إِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا وَإِن نَّظُنُّكَ لَمِنَ ٱلْكَٰذِبِينَ﴿١٨٦﴾ فَأَسْقِطْ عَلَيْنَا كِسَفًا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّٰدِقِينَ﴿١٨٧﴾ قَالَ رَبِّىٓ أَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُونَ﴿١٨٨﴾ فَكَذَّبُوهُ فَأَخَذَهُمْ عَذَابُ يَوْمِ ٱلظُّلَّةِ إِنَّهُۥ كَانَ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ﴿١٨٩﴾ जब शुएब ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते मै तो बिला शुबाह तुम्हारा अमानदार हूँ तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो मै तो तुमसे इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (ख़ुदा) के ज़िम्मे है तुम (जब कोई चीज़ नाप कर दो तो) पूरा पैमाना दिया करो और नुक़सान (कम देने वाले) न बनो और तुम (जब तौलो तो) ठीक तराज़ू से डन्डी सीधी रखकर तौलो और लोगों को उनकी चीज़े (जो ख़रीदें) कम न ज्यादा करो और ज़मीन से फसाद न फैलाते फिरो और उस (ख़ुदा) से डरो जिसने तुम्हे और अगली ख़िलकत को पैदा किया वह लोग कहने लगे तुम पर तो बस जादू कर दिया गया है (कि ऐसी बातें करते हों) और तुम तो हमारे ही ऐसे एक आदमी हो और हम लोग तो तुमको झूठा ही समझते हैं तो अगर तुम सच्चे हो तो हम पर आसमान का एक टुकड़ा गिरा दो और शुएब ने कहा जो तुम लोग करते हो मेरा परवरदिगार ख़ूब जानता है ग़रज़ उन लोगों ने शुएब को झुठलाया तो उन्हें साएबान (अब्र) के अज़ाब ने ले डाला- इसमे शक नहीं कि ये भी एक बड़े (सख्त) दिन का अज़ाब था | ||