Surat Ash-Shu'araa (The Poets) - الشعراء
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26:181 أَوْفُوا۟ ٱلْكَيْلَ وَلَا تَكُونُوا۟ مِنَ ٱلْمُخْسِرِينَ ﴿١٨١﴾ وَزِنُوا۟ بِٱلْقِسْطَاسِ ٱلْمُسْتَقِيمِ﴿١٨٢﴾ وَلَا تَبْخَسُوا۟ ٱلنَّاسَ أَشْيَآءَهُمْ وَلَا تَعْثَوْا۟ فِى ٱلْأَرْضِ مُفْسِدِينَ﴿١٨٣﴾ وَٱتَّقُوا۟ ٱلَّذِى خَلَقَكُمْ وَٱلْجِبِلَّةَ ٱلْأَوَّلِينَ﴿١٨٤﴾ तुम (जब कोई चीज़ नाप कर दो तो) पूरा पैमाना दिया करो और नुक़सान (कम देने वाले) न बनो और तुम (जब तौलो तो) ठीक तराज़ू से डन्डी सीधी रखकर तौलो और लोगों को उनकी चीज़े (जो ख़रीदें) कम न ज्यादा करो और ज़मीन से फसाद न फैलाते फिरो और उस (ख़ुदा) से डरो जिसने तुम्हे और अगली ख़िलकत को पैदा किया | ||