Surat Ash-Shu'araa (The Poets) - الشعراء
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26:61 فَلَمَّا تَرَٰٓءَا ٱلْجَمْعَانِ قَالَ أَصْحَٰبُ مُوسَىٰٓ إِنَّا لَمُدْرَكُونَ ﴿٦١﴾ قَالَ كَلَّآ إِنَّ مَعِىَ رَبِّى سَيَهْدِينِ﴿٦٢﴾ فَأَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱضْرِب بِّعَصَاكَ ٱلْبَحْرَ فَٱنفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرْقٍ كَٱلطَّوْدِ ٱلْعَظِيمِ﴿٦٣﴾ وَأَزْلَفْنَا ثَمَّ ٱلْءَاخَرِينَ﴿٦٤﴾ وَأَنجَيْنَا مُوسَىٰ وَمَن مَّعَهُۥٓ أَجْمَعِينَ﴿٦٥﴾ ثُمَّ أَغْرَقْنَا ٱلْءَاخَرِينَ﴿٦٦﴾ और उन लोगों ने सूरज निकलते उनका पीछा किया तो जब दोनों जमाअतें (इतनी करीब हुयीं कि) एक दूसरे को देखने लगी तो मूसा के साथी (हैरान होकर) कहने लगे कि अब तो पकड़े गए मूसा ने कहा हरगिज़ नहीं क्योंकि मेरे साथ मेरा परवरदिगार है वह फौरन मुझे कोई (मुखलिसी का) रास्ता बता देगा तो हमने मूसा के पास वही भेजी कि अपनी छड़ी दरिया पर मारो (मारना था कि) फौरन दरिया फुट के टुकड़े टुकड़े हो गया तो गोया हर टुकड़ा एक बड़ा ऊँचा पहाड़ था और हमने उसी जगह दूसरे फरीक (फिरऔन के साथी) को क़रीब कर दिया और मूसा और उसके साथियों को हमने (डूबने से) बचा लिया फिर दूसरे फरीक़ (फिरऔन और उसके साथियों) को डुबोकर हलाक़ कर दिया | ||