Surat Ash-Shu'araa (The Poets) - الشعراء
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26:83 رَبِّ هَبْ لِى حُكْمًا وَأَلْحِقْنِى بِٱلصَّٰلِحِينَ ﴿٨٣﴾ وَٱجْعَل لِّى لِسَانَ صِدْقٍ فِى ٱلْءَاخِرِينَ﴿٨٤﴾ وَٱجْعَلْنِى مِن وَرَثَةِ جَنَّةِ ٱلنَّعِيمِ﴿٨٥﴾ وَٱغْفِرْ لِأَبِىٓ إِنَّهُۥ كَانَ مِنَ ٱلضَّآلِّينَ﴿٨٦﴾ وَلَا تُخْزِنِى يَوْمَ يُبْعَثُونَ﴿٨٧﴾ يَوْمَ لَا يَنفَعُ مَالٌ وَلَا بَنُونَ﴿٨٨﴾ إِلَّا مَنْ أَتَى ٱللَّهَ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ﴿٨٩﴾ परवरदिगार मुझे इल्म व फहम अता फरमा और मुझे नेकों के साथ शामिल कर और आइन्दा आने वाली नस्लों में मेरा ज़िक्रे ख़ैर क़ायम रख और मुझे भी नेअमत के बाग़ (बेहश्त) के वारिसों में से बना और मेरे (मुँह बोले) बाप (चचा आज़र) को बख्श दे क्योंकि वह गुमराहों में से है और जिस दिन लोग क़ब्रों से उठाए जाएँगें मुझे रुसवा न करना जिस दिन न तो माल ही कुछ काम आएगा और न लड़के बाले मगर जो शख्स ख़ुदा के सामने (गुनाहों से) पाक दिल लिए हुए हाज़िर होगा (वह फायदे में रहेगा) | ||