Surat An-Naml (The Ant) - النمل
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27:20 وَتَفَقَّدَ ٱلطَّيْرَ فَقَالَ مَا لِىَ لَآ أَرَى ٱلْهُدْهُدَ أَمْ كَانَ مِنَ ٱلْغَآئِبِينَ ﴿٢٠﴾ لَأُعَذِّبَنَّهُۥ عَذَابًا شَدِيدًا أَوْ لَأَا۟ذْبَحَنَّهُۥٓ أَوْ لَيَأْتِيَنِّى بِسُلْطَٰنٍ مُّبِينٍ﴿٢١﴾ فَمَكَثَ غَيْرَ بَعِيدٍ فَقَالَ أَحَطتُ بِمَا لَمْ تُحِطْ بِهِۦ وَجِئْتُكَ مِن سَبَإٍۭ بِنَبَإٍ يَقِينٍ﴿٢٢﴾ إِنِّى وَجَدتُّ ٱمْرَأَةً تَمْلِكُهُمْ وَأُوتِيَتْ مِن كُلِّ شَىْءٍ وَلَهَا عَرْشٌ عَظِيمٌ﴿٢٣﴾ وَجَدتُّهَا وَقَوْمَهَا يَسْجُدُونَ لِلشَّمْسِ مِن دُونِ ٱللَّهِ وَزَيَّنَ لَهُمُ ٱلشَّيْطَٰنُ أَعْمَٰلَهُمْ فَصَدَّهُمْ عَنِ ٱلسَّبِيلِ فَهُمْ لَا يَهْتَدُونَ﴿٢٤﴾ أَلَّا يَسْجُدُوا۟ لِلَّهِ ٱلَّذِى يُخْرِجُ ٱلْخَبْءَ فِى ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَيَعْلَمُ مَا تُخْفُونَ وَمَا تُعْلِنُونَ﴿٢٥﴾ ٱللَّهُ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ رَبُّ ٱلْعَرْشِ ٱلْعَظِيمِ﴿٢٦﴾ और सुलेमान ने परिन्दों (के लश्कर) की हाज़िरी ली तो कहने लगे कि क्या बात है कि मै हुदहुद को (उसकी जगह पर) नहीं देखता क्या (वाक़ई में) वह कही ग़ायब है (अगर ऐसा है तो) मै उसे सख्त से सख्त सज़ा दूँगा या (नहीं तो ) उसे ज़बाह ही कर डालूँगा या वह (अपनी बेगुनाही की) कोई साफ दलील मेरे पास पेश करे ग़रज़ सुलेमान ने थोड़ी ही देर (तवक्कुफ़ किया था कि (हुदहुद) आ गया) तो उसने अर्ज़ की मुझे यह बात मालूम हुई है जो अब तक हुज़ूर को भी मालूम नहीं है और आप के पास शहरे सबा से एक तहक़ीकी ख़बर लेकर आया हूँ मैने एक औरत को देखा जो वहाँ के लोगों पर सलतनत करती है और उसे (दुनिया की) हर चीज़ अता की गयी है और उसका एक बड़ा तख्त है मैने खुद मलका को देखा और उसकी क़ौम को देखा कि वह लोग ख़ुदा को छोड़कर आफताब को सजदा करते हैं शैतान ने उनकी करतूतों को (उनकी नज़र में) अच्छा कर दिखाया है और उनको राहे रास्त से रोक रखा है तो उन्हें (इतनी सी बात भी नहीं सूझती) कि वह लोग ख़ुदा ही का सजदा क्यों नहीं करते जो आसमान और ज़मीन की पोशीदा बातों को ज़ाहिर कर देता है और तुम लोग जो कुछ छिपाकर या ज़ाहिर करके करते हो सब जानता है अल्लाह वह है जिससे सिवा कोई माबूद नहीं वही (इतने) बड़े अर्श का मालिक है (सजदा) | ||