Surat Al-Qasas (The Stories) - القصص
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28:58 وَكَمْ أَهْلَكْنَا مِن قَرْيَةٍۭ بَطِرَتْ مَعِيشَتَهَا فَتِلْكَ مَسَٰكِنُهُمْ لَمْ تُسْكَن مِّنۢ بَعْدِهِمْ إِلَّا قَلِيلًا وَكُنَّا نَحْنُ ٱلْوَٰرِثِينَ ﴿٥٨﴾ وَمَا كَانَ رَبُّكَ مُهْلِكَ ٱلْقُرَىٰ حَتَّىٰ يَبْعَثَ فِىٓ أُمِّهَا رَسُولًا يَتْلُوا۟ عَلَيْهِمْ ءَايَٰتِنَا وَمَا كُنَّا مُهْلِكِى ٱلْقُرَىٰٓ إِلَّا وَأَهْلُهَا ظَٰلِمُونَ﴿٥٩﴾ और हमने तो बहुतेरी बस्तियाँ बरबाद कर दी जो अपनी मइशत (रोजी) में बहुत इतराहट से (ज़िन्दगी) बसर किया करती थीं-(तो देखो) ये उन ही के (उजड़े हुए) घर हैं जो उनके बाद फिर आबाद नहीं हुए मगर बहुत कम और (आख़िर) हम ही उनके (माल व असबाब के) वारिस हुए और तुम्हारा परवरदिगार जब तक उन गाँव के सदर मक़ाम पर अपना पैग़म्बर न भेज ले और वह उनके सामने हमारी आयतें न पढ़ दे (उस वक्त तक) बस्तियों को बरबाद नहीं कर दिया करता-और हम तो बस्तियों को बरबाद करते ही नहीं जब तक वहाँ के लोग ज़ालिम न हों | ||