Surat Aal-i-Imraan (The Family of Imraan) - آل عمران
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3:85 وَمَن يَبْتَغِ غَيْرَ ٱلْإِسْلَٰمِ دِينًا فَلَن يُقْبَلَ مِنْهُ وَهُوَ فِى ٱلْءَاخِرَةِ مِنَ ٱلْخَٰسِرِينَ ﴿٨٥﴾ और हम तो उसी (यकता ख़ुदा) के फ़रमाबरदार हैं और जो शख्स इस्लाम के सिवा किसी और दीन की ख्वाहिश करे तो उसका वह दीन हरगिज़ कुबूल ही न किया जाएगा और वह आख़िरत में सख्त घाटे में रहेगा | ||