Surat Aal-i-Imraan (The Family of Imraan) - آل عمران
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3:98 قُلْ يَٰٓأَهْلَ ٱلْكِتَٰبِ لِمَ تَكْفُرُونَ بِـَٔايَٰتِ ٱللَّهِ وَٱللَّهُ شَهِيدٌ عَلَىٰ مَا تَعْمَلُونَ ﴿٩٨﴾ قُلْ يَٰٓأَهْلَ ٱلْكِتَٰبِ لِمَ تَصُدُّونَ عَن سَبِيلِ ٱللَّهِ مَنْ ءَامَنَ تَبْغُونَهَا عِوَجًا وَأَنتُمْ شُهَدَآءُ وَمَا ٱللَّهُ بِغَٰفِلٍ عَمَّا تَعْمَلُونَ﴿٩٩﴾ (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ अहले किताब खुदा की आयतो से क्यो मुन्किर हुए जाते हो हालॉकि जो काम काज तुम करते हो खुदा को उसकी (पूरी) पूरी इत्तिला है (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ अहले किताब दीदए दानिस्ता खुदा की (सीधी) राह में (नाहक़ की) कज़ी ढूंढो (ढूंढ) के ईमान लाने वालों को उससे क्यों रोकते हो ओर जो कुछ तुम करते हो खुदा उससे बेख़बर नहीं है | ||