Surat Faatir (The Originator) - فاطر
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35:22 وَمَا يَسْتَوِى ٱلْأَحْيَآءُ وَلَا ٱلْأَمْوَٰتُ إِنَّ ٱللَّهَ يُسْمِعُ مَن يَشَآءُ وَمَآ أَنتَ بِمُسْمِعٍ مَّن فِى ٱلْقُبُورِ ﴿٢٢﴾ और न ज़िन्दे (मोमिनीन) और न मुर्दें (क़ाफिर) बराबर हो सकते हैं और खुदा जिसे चाहता है अच्छी तरह सुना (समझा) देता है और (ऐ रसूल) जो (कुफ्फ़ार मुर्दों की तरह) क़ब्रों में हैं उन्हें तुम अपनी (बातें) नहीं समझा सकते हो | ||