Surat Faatir (The Originator) - فاطر
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35:27 أَلَمْ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ أَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءً فَأَخْرَجْنَا بِهِۦ ثَمَرَٰتٍ مُّخْتَلِفًا أَلْوَٰنُهَا وَمِنَ ٱلْجِبَالِ جُدَدٌۢ بِيضٌ وَحُمْرٌ مُّخْتَلِفٌ أَلْوَٰنُهَا وَغَرَابِيبُ سُودٌ ﴿٢٧﴾ وَمِنَ ٱلنَّاسِ وَٱلدَّوَآبِّ وَٱلْأَنْعَٰمِ مُخْتَلِفٌ أَلْوَٰنُهُۥ كَذَٰلِكَ إِنَّمَا يَخْشَى ٱللَّهَ مِنْ عِبَادِهِ ٱلْعُلَمَٰٓؤُا۟ إِنَّ ٱللَّهَ عَزِيزٌ غَفُورٌ﴿٢٨﴾ अब क्या तुमने इस पर भी ग़ौर नहीं किया कि यक़ीनन खुदा ही ने आसमान से पानी बरसाया फिर हम (खुदा) ने उसके ज़रिए से तरह-तरह की रंगतों के फल पैदा किए और पहाड़ों में क़तआत (टुकड़े रास्ते) हैं जिनके रंग मुख़तलिफ है कुछ तो सफेद (बुर्राक़) और कुछ लाल (लाल) और कुछ बिल्कुल काले सियाह और इसी तरह आदमियों और जानवरों और चारपायों की भी रंगते तरह-तरह की हैं उसके बन्दों में ख़ुदा का ख़ौफ करने वाले तो बस उलेमा हैं बेशक खुदा (सबसे) ग़ालिब और बख्शने वाला है | ||