Surat Faatir (The Originator) - فاطر
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35:29 إِنَّ ٱلَّذِينَ يَتْلُونَ كِتَٰبَ ٱللَّهِ وَأَقَامُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ وَأَنفَقُوا۟ مِمَّا رَزَقْنَٰهُمْ سِرًّا وَعَلَانِيَةً يَرْجُونَ تِجَٰرَةً لَّن تَبُورَ ﴿٢٩﴾ बेशक जो लोग Âुदा की किताब पढ़ा करते हैं और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ते हैं और जो कुछ हमने उन्हें अता किया है उसमें से छिपा के और दिखा के (खुदा की राह में) देते हैं वह यक़ीनन ऐसे व्यापार का आसरा रखते हैं | ||