Surat Faatir (The Originator) - فاطر
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35:33 جَنَّٰتُ عَدْنٍ يَدْخُلُونَهَا يُحَلَّوْنَ فِيهَا مِنْ أَسَاوِرَ مِن ذَهَبٍ وَلُؤْلُؤًا وَلِبَاسُهُمْ فِيهَا حَرِيرٌ ﴿٣٣﴾ (और उसका सिला बेहिश्त के) सदा बहार बाग़ात हैं जिनमें ये लोग दाख़िल होंगे और उन्हें वहाँ सोने के कंगन और मोती पहनाए जाएँगे और वहाँ उनकी (मामूली) पोशाक ख़ालिस रेशमी होगी | ||