Surat Faatir (The Originator) - فاطر
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35:42 وَأَقْسَمُوا۟ بِٱللَّهِ جَهْدَ أَيْمَٰنِهِمْ لَئِن جَآءَهُمْ نَذِيرٌ لَّيَكُونُنَّ أَهْدَىٰ مِنْ إِحْدَى ٱلْأُمَمِ فَلَمَّا جَآءَهُمْ نَذِيرٌ مَّا زَادَهُمْ إِلَّا نُفُورًا ﴿٤٢﴾ ٱسْتِكْبَارًا فِى ٱلْأَرْضِ وَمَكْرَ ٱلسَّيِّئِ وَلَا يَحِيقُ ٱلْمَكْرُ ٱلسَّيِّئُ إِلَّا بِأَهْلِهِۦ فَهَلْ يَنظُرُونَ إِلَّا سُنَّتَ ٱلْأَوَّلِينَ فَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ ٱللَّهِ تَبْدِيلًا وَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ ٱللَّهِ تَحْوِيلًا﴿٤٣﴾ और ये लोग तो खुदा की बड़ी-बड़ी सख्त क़समें खा (कर कहते) थे कि बेशक अगर उनके पास कोई डराने वाला (पैग़म्बर) आएगा तो वह ज़रूर हर एक उम्मत से ज्यादा रूबसह होंगे फिर जब उनके पास डराने वाला (रसूल) आ पहुँचा तो (उन लोगों को) रूए ज़मीन में सरकशी और बुरी-बुरी तद्बीरें करने की वजह से (उसके आने से) उनकी नफरत को तरक्की ही होती गयी और बुदी तद्बीर (की बुराई) तो बुरी तद्बीर करने वाले ही पर पड़ती है तो (हो न हो) ये लोग बस अगले ही लोगों के बरताव के मुन्तज़िर हैं तो (बेहतर) तुम खुदा के दसतूर में कभी तब्दीली न पाओगे और खुदा की आदत में हरगिज़ कोई तग़य्युर न पाओगे | ||