Surat As-Saaffaat (Those drawn up in Ranks) - الصافات
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37:114 وَلَقَدْ مَنَنَّا عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَٰرُونَ ﴿١١٤﴾ وَنَجَّيْنَٰهُمَا وَقَوْمَهُمَا مِنَ ٱلْكَرْبِ ٱلْعَظِيمِ﴿١١٥﴾ وَنَصَرْنَٰهُمْ فَكَانُوا۟ هُمُ ٱلْغَٰلِبِينَ﴿١١٦﴾ وَءَاتَيْنَٰهُمَا ٱلْكِتَٰبَ ٱلْمُسْتَبِينَ﴿١١٧﴾ وَهَدَيْنَٰهُمَا ٱلصِّرَٰطَ ٱلْمُسْتَقِيمَ﴿١١٨﴾ وَتَرَكْنَا عَلَيْهِمَا فِى ٱلْءَاخِرِينَ﴿١١٩﴾ سَلَٰمٌ عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَٰرُونَ﴿١٢٠﴾ और हमने मूसा और हारून पर बहुत से एहसानात किए हैं और खुद दोनों को और इनकी क़ौम को बड़ी (सख्त) मुसीबत से नजात दी और (फिरऔन के मुक़ाबले में) हमने उनकी मदद की तो (आख़िर) यही लोग ग़ालिब रहे और हमने उन दोनों को एक वाज़ेए उलम तालिब किताब (तौरेत) अता की और दोनों को सीधी राह की हिदायत फ़रमाई और बाद को आने वालों में उनका ज़िक्रे ख़ैर बाक़ी रखा कि (हर जगह) मूसा और हारून पर सलाम (ही सलाम) है | ||