Surat Saad (The letter Saad) - ص
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38:31 إِذْ عُرِضَ عَلَيْهِ بِٱلْعَشِىِّ ٱلصَّٰفِنَٰتُ ٱلْجِيَادُ ﴿٣١﴾ فَقَالَ إِنِّىٓ أَحْبَبْتُ حُبَّ ٱلْخَيْرِ عَن ذِكْرِ رَبِّى حَتَّىٰ تَوَارَتْ بِٱلْحِجَابِ﴿٣٢﴾ رُدُّوهَا عَلَىَّ فَطَفِقَ مَسْحًۢا بِٱلسُّوقِ وَٱلْأَعْنَاقِ﴿٣٣﴾ बेशक वह हमारी तरफ रूजू करने वाले थे इत्तोफाक़न एक दफ़ा तीसरे पहर को ख़ासे के असील घोड़े उनके सामने पेश किए गए तो देखने में उलझे के नवाफिल में देर हो गयी जब याद आया तो बोले कि मैंने अपने परवरदिगार की याद पर माल की उलफ़त को तरजीह दी यहाँ तक कि आफ़ताब (मग़रिब के) पर्दे में छुप गया (तो बोले अच्छा) इन घोड़ों को मेरे पास वापस लाओ (जब आए) तो (देर के कफ्फ़ारा में) घोड़ों की टाँगों और गर्दनों पर हाथ फेर (काट) ने लगे | ||