Surat Az-Zumar (The Groups) - الزمر
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39:14 قُلِ ٱللَّهَ أَعْبُدُ مُخْلِصًا لَّهُۥ دِينِى ﴿١٤﴾ فَٱعْبُدُوا۟ مَا شِئْتُم مِّن دُونِهِۦ قُلْ إِنَّ ٱلْخَٰسِرِينَ ٱلَّذِينَ خَسِرُوٓا۟ أَنفُسَهُمْ وَأَهْلِيهِمْ يَوْمَ ٱلْقِيَٰمَةِ أَلَا ذَٰلِكَ هُوَ ٱلْخُسْرَانُ ٱلْمُبِينُ﴿١٥﴾ (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं अपनी इबादत को उसी के वास्ते ख़ालिस करके खुदा ही की बन्दगी करता हूँ (अब रहे तुम) तो उसके सिवा जिसको चाहो पूजो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि फिल हक़ीक़त घाटे में वही लोग हैं जिन्होंने अपना और अपने लड़के वालों का क़यामत के दिन घाटा किया आगाह रहो कि सरीही (खुल्लम खुल्ला) घाटा यही है कि उनके लिए उनके ऊपर से आग ही के ओढ़ने होगें | ||