Surat Al-Ghaafir (The Forgiver) - غافر
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40:55 فَٱصْبِرْ إِنَّ وَعْدَ ٱللَّهِ حَقٌّ وَٱسْتَغْفِرْ لِذَنۢبِكَ وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ بِٱلْعَشِىِّ وَٱلْإِبْكَٰرِ ﴿٥٥﴾ (ऐ रसूल) तुम (उनकी शरारत) पर सब्र करो बेशक ख़ुदा का वायदा सच्चा है, और अपने (उम्मत की) गुनाहों की माफी माँगो और सुबह व शाम अपने परवरदिगार की हम्द व सना के साथ तसबीह करते रहो | ||