Surat Ash-Shura (Consultation) - الشورى
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42:20 مَن كَانَ يُرِيدُ حَرْثَ ٱلْءَاخِرَةِ نَزِدْ لَهُۥ فِى حَرْثِهِۦ وَمَن كَانَ يُرِيدُ حَرْثَ ٱلدُّنْيَا نُؤْتِهِۦ مِنْهَا وَمَا لَهُۥ فِى ٱلْءَاخِرَةِ مِن نَّصِيبٍ ﴿٢٠﴾ जो शख़्श आखेरत की खेती का तालिब हो हम उसके लिए उसकी खेती में अफ़ज़ाइश करेंगे और दुनिया की खेती का ख़ास्तगार हो तो हम उसको उसी में से देंगे मगर आखेरत में फिर उसका कुछ हिस्सा न होगा | ||