Surat Ash-Shura (Consultation) - الشورى
Home > > >
42:8 وَلَوْ شَآءَ ٱللَّهُ لَجَعَلَهُمْ أُمَّةً وَٰحِدَةً وَلَٰكِن يُدْخِلُ مَن يَشَآءُ فِى رَحْمَتِهِۦ وَٱلظَّٰلِمُونَ مَا لَهُم مِّن وَلِىٍّ وَلَا نَصِيرٍ ﴿٨﴾ और अगर ख़ुदा चाहता तो इन सबको एक ही गिरोह बना देता मगर वह तो जिसको चाहता है (हिदायत करके) अपनी रहमत में दाख़िल कर लेता है और ज़ालिमों का तो (उस दिन) न कोई यार है और न मददगार | ||