Surat Az-Zukhruf (Ornaments of gold) - الزخرف
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43:15 وَجَعَلُوا۟ لَهُۥ مِنْ عِبَادِهِۦ جُزْءًا إِنَّ ٱلْإِنسَٰنَ لَكَفُورٌ مُّبِينٌ ﴿١٥﴾ और उन लोगों ने उसके बन्दों में से उसके लिए औलाद क़रार दी है इसमें शक़ नहीं कि इन्सान खुल्लम खुल्ला बड़ा ही नाशक्रा है | ||