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BackSurat Az-Zukhruf (Ornaments of gold) - الزخرف

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43:32

أَهُمْ يَقْسِمُونَ رَحْمَتَ رَبِّكَ نَحْنُ قَسَمْنَا بَيْنَهُم مَّعِيشَتَهُمْ فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا وَرَفَعْنَا بَعْضَهُمْ فَوْقَ بَعْضٍ دَرَجَٰتٍ لِّيَتَّخِذَ بَعْضُهُم بَعْضًا سُخْرِيًّا وَرَحْمَتُ رَبِّكَ خَيْرٌ مِّمَّا يَجْمَعُونَ ﴿٣٢﴾ وَلَوْلَآ أَن يَكُونَ ٱلنَّاسُ أُمَّةً وَٰحِدَةً لَّجَعَلْنَا لِمَن يَكْفُرُ بِٱلرَّحْمَٰنِ لِبُيُوتِهِمْ سُقُفًا مِّن فِضَّةٍ وَمَعَارِجَ عَلَيْهَا يَظْهَرُونَ﴿٣٣﴾ وَلِبُيُوتِهِمْ أَبْوَٰبًا وَسُرُرًا عَلَيْهَا يَتَّكِـُٔونَ﴿٣٤﴾ وَزُخْرُفًا وَإِن كُلُّ ذَٰلِكَ لَمَّا مَتَٰعُ ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا وَٱلْءَاخِرَةُ عِندَ رَبِّكَ لِلْمُتَّقِينَ﴿٣٥﴾

ये लोग तुम्हारे परवरदिगार की रहमत को (अपने तौर पर) बाँटते हैं हमने तो इनके दरमियान उनकी रोज़ी दुनयावी ज़िन्दगी में बाँट ही दी है और एक के दूसरे पर दर्जे बुलन्द किए हैं ताकि इनमें का एक दूसरे से ख़िदमत ले और जो माल (मतआ) ये लोग जमा करते फिरते हैं ख़ुदा की रहमत (पैग़म्बर) इससे कहीं बेहतर है और अगर ये बात न होती कि (आख़िर) सब लोग एक ही तरीक़े के हो जाएँगे तो हम उनके लिए जो ख़ुदा से इन्कार करते हैं उनके घरों की छतें और वही सीढ़ियाँ जिन पर वह चढ़ते हैं (उतरते हैं) और उनके घरों के दरवाज़े और वह तख्त जिन पर तकिये लगाते हैं चाँदी और सोने के बना देते ये सब साज़ो सामान, तो बस दुनियावी ज़िन्दगी के (चन्द रोज़ा) साज़ो सामान हैं (जो मिट जाएँगे) और आख़ेरत (का सामान) तो तुम्हारे परवरदिगार के यहॉ ख़ास परहेज़गारों के लिए है

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