Surat Az-Zukhruf (Ornaments of gold) - الزخرف
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43:70 ٱدْخُلُوا۟ ٱلْجَنَّةَ أَنتُمْ وَأَزْوَٰجُكُمْ تُحْبَرُونَ ﴿٧٠﴾ يُطَافُ عَلَيْهِم بِصِحَافٍ مِّن ذَهَبٍ وَأَكْوَابٍ وَفِيهَا مَا تَشْتَهِيهِ ٱلْأَنفُسُ وَتَلَذُّ ٱلْأَعْيُنُ وَأَنتُمْ فِيهَا خَٰلِدُونَ﴿٧١﴾ وَتِلْكَ ٱلْجَنَّةُ ٱلَّتِىٓ أُورِثْتُمُوهَا بِمَا كُنتُمْ تَعْمَلُونَ﴿٧٢﴾ لَكُمْ فِيهَا فَٰكِهَةٌ كَثِيرَةٌ مِّنْهَا تَأْكُلُونَ﴿٧٣﴾ तो तुम अपनी बीवियों समैत एजाज़ व इकराम से बेहिश्त में दाखिल हो जाओ उन पर सोने की एक रिक़ाबियों और प्यालियों का दौर चलेगा और वहाँ जिस चीज़ को जी चाहे और जिससे ऑंखें लज्ज़त उठाएं (सब मौजूद हैं) और तुम उसमें हमेशा रहोगे और ये जन्नत जिसके तुम वारिस (हिस्सेदार) कर दिये गये हो तुम्हारी क़ारगुज़ारियों का सिला है वहाँ तुम्हारे वास्ते बहुत से मेवे हैं जिनको तुम खाओगे | ||