Surat Al-Ahqaf (The Dunes) - الأحقاف
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46:29 وَإِذْ صَرَفْنَآ إِلَيْكَ نَفَرًا مِّنَ ٱلْجِنِّ يَسْتَمِعُونَ ٱلْقُرْءَانَ فَلَمَّا حَضَرُوهُ قَالُوٓا۟ أَنصِتُوا۟ فَلَمَّا قُضِىَ وَلَّوْا۟ إِلَىٰ قَوْمِهِم مُّنذِرِينَ ﴿٢٩﴾ قَالُوا۟ يَٰقَوْمَنَآ إِنَّا سَمِعْنَا كِتَٰبًا أُنزِلَ مِنۢ بَعْدِ مُوسَىٰ مُصَدِّقًا لِّمَا بَيْنَ يَدَيْهِ يَهْدِىٓ إِلَى ٱلْحَقِّ وَإِلَىٰ طَرِيقٍ مُّسْتَقِيمٍ﴿٣٠﴾ और जब हमने जिनों में से कई शख़्शों को तुम्हारी तरफ मुतावज्जे किया कि वह दिल लगाकर क़ुरान सुनें तो जब उनके पास हाज़िर हुए तो एक दुसरे से कहने लगे ख़ामोश बैठे (सुनते) रहो फिर जब (पढ़ना) तमाम हुआ तो अपनी क़ौम की तरफ़ वापस गए कि (उनको अज़ाब से) डराएं तो उन से कहना शुरू किया कि ऐ भाइयों हम एक किताब सुन आए हैं जो मूसा के बाद नाज़िल हुई है (और) जो किताबें, पहले (नाज़िल हुयीं) हैं उनकी तसदीक़ करती हैं सच्चे (दीन) और सीधी राह की हिदायत करती हैं | ||