Menu

BackSurat Al-Ahqaf (The Dunes) - الأحقاف

>
>


46:35

فَٱصْبِرْ كَمَا صَبَرَ أُو۟لُوا۟ ٱلْعَزْمِ مِنَ ٱلرُّسُلِ وَلَا تَسْتَعْجِل لَّهُمْ كَأَنَّهُمْ يَوْمَ يَرَوْنَ مَا يُوعَدُونَ لَمْ يَلْبَثُوٓا۟ إِلَّا سَاعَةً مِّن نَّهَارٍۭ بَلَٰغٌ فَهَلْ يُهْلَكُ إِلَّا ٱلْقَوْمُ ٱلْفَٰسِقُونَ ﴿٣٥﴾

तो (ऐ रसूल) पैग़म्बरों में से जिस तरह अव्वलुल अज्म (आली हिम्मत), सब्र करते रहे तुम भी सब्र करो और उनके लिए (अज़ाब) की ताज़ील की ख्वाहिश न करो जिस दिन यह लोग उस कयामत को देखेंगे जिसको उनसे वायदा किया जाता है तो (उनको मालूम होगा कि) गोया ये लोग (दुनिया में) बहुत रहे होगें तो सारे दिन में से एक घड़ी भर तो बस वही लोग हलाक होंगे जो बदकार थे

This is a portion of the entire surah. View this verse in context, or view the entire surah here.