Surat Al-Fath (The Victory) - الفتح
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48:1 بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ إِنَّا فَتَحْنَا لَكَ فَتْحًا مُّبِينًا ﴿١﴾ لِّيَغْفِرَ لَكَ ٱللَّهُ مَا تَقَدَّمَ مِن ذَنۢبِكَ وَمَا تَأَخَّرَ وَيُتِمَّ نِعْمَتَهُۥ عَلَيْكَ وَيَهْدِيَكَ صِرَٰطًا مُّسْتَقِيمًا﴿٢﴾ وَيَنصُرَكَ ٱللَّهُ نَصْرًا عَزِيزًا﴿٣﴾ (ऐ रसूल) ये हुबैदिया की सुलह नहीं बल्कि हमने हक़ीक़तन तुमको खुल्लम खुल्ला फतेह अता की ताकि ख़ुदा तुम्हारी उम्मत के अगले और पिछले गुनाह माफ़ कर दे और तुम पर अपनी नेअमत पूरी करे और तुम्हें सीधी राह पर साबित क़दम रखे और ख़ुदा तुम्हारी ज़बरदस्त मदद करे | ||