Surat Al-Hujuraat (The Inner Apartments) - الحجرات
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49:14 قَالَتِ ٱلْأَعْرَابُ ءَامَنَّا قُل لَّمْ تُؤْمِنُوا۟ وَلَٰكِن قُولُوٓا۟ أَسْلَمْنَا وَلَمَّا يَدْخُلِ ٱلْإِيمَٰنُ فِى قُلُوبِكُمْ وَإِن تُطِيعُوا۟ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥ لَا يَلِتْكُم مِّنْ أَعْمَٰلِكُمْ شَيْـًٔا إِنَّ ٱللَّهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ ﴿١٤﴾ अरब के देहाती कहते हैं कि हम ईमान लाए (ऐ रसूल) तुम कह दो कि तुम ईमान नहीं लाए बल्कि (यूँ) कह दो कि इस्लाम लाए हालॉकि ईमान का अभी तक तुम्हारे दिल में गुज़र हुआ ही नहीं और अगर तुम ख़ुदा की और उसके रसूल की फरमाबरदारी करोगे तो ख़ुदा तुम्हारे आमाल में से कुछ कम नहीं करेगा - बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है | ||