Surat Al-Maaida (The Table) - المائدة
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5:108 ذَٰلِكَ أَدْنَىٰٓ أَن يَأْتُوا۟ بِٱلشَّهَٰدَةِ عَلَىٰ وَجْهِهَآ أَوْ يَخَافُوٓا۟ أَن تُرَدَّ أَيْمَٰنٌۢ بَعْدَ أَيْمَٰنِهِمْ وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَٱسْمَعُوا۟ وَٱللَّهُ لَا يَهْدِى ٱلْقَوْمَ ٱلْفَٰسِقِينَ ﴿١٠٨﴾ ये ज्यादा क़रीन क़यास है कि इस तरह पर (आख़ेरत के डर से) ठीक ठीक गवाही दें या (दुनिया की रूसवाई का) अन्देशा हो कि कहीं हमारी क़समें दूसरे फरीक़ की क़समों के बाद रद न कर दी जाएँ मुसलमानों ख़ुदा से डरो और (जी लगा कर) सुन लो और ख़ुदा बदचलन लोगों को मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाता | ||