Surat Al-Maaida (The Table) - المائدة
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5:30 فَطَوَّعَتْ لَهُۥ نَفْسُهُۥ قَتْلَ أَخِيهِ فَقَتَلَهُۥ فَأَصْبَحَ مِنَ ٱلْخَٰسِرِينَ ﴿٣٠﴾ فَبَعَثَ ٱللَّهُ غُرَابًا يَبْحَثُ فِى ٱلْأَرْضِ لِيُرِيَهُۥ كَيْفَ يُوَٰرِى سَوْءَةَ أَخِيهِ قَالَ يَٰوَيْلَتَىٰٓ أَعَجَزْتُ أَنْ أَكُونَ مِثْلَ هَٰذَا ٱلْغُرَابِ فَأُوَٰرِىَ سَوْءَةَ أَخِى فَأَصْبَحَ مِنَ ٱلنَّٰدِمِينَ﴿٣١﴾ फिर तो उसके नफ्स ने अपने भाई के क़त्ल पर उसे भड़का ही दिया आख़िर उस (कम्बख्त ने) उसको मार ही डाला तो घाटा उठाने वालों में से हो गया (तब उसे फ़िक्र हुई कि लाश को क्या करे) तो ख़ुदा ने एक कौवे को भेजा कि वह ज़मीन को कुरेदने लगा ताकि उसे (क़ाबील) को दिखा दे कि उसे अपने भाई की लाश क्योंकर छुपानी चाहिए (ये देखकर) वह कहने लगा हाए अफ़सोस क्या मैं उस से भी आजिज़ हूं कि उस कौवे की बराबरी कर सकॅू कि (बला से यह भी होता) तो अपने भाई की लाश छुपा देता अलगरज़ वह (अपनी हरकत से) बहुत पछताया | ||