Surat Al-Qamar (The Moon) - القمر
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54:23 كَذَّبَتْ ثَمُودُ بِٱلنُّذُرِ ﴿٢٣﴾ فَقَالُوٓا۟ أَبَشَرًا مِّنَّا وَٰحِدًا نَّتَّبِعُهُۥٓ إِنَّآ إِذًا لَّفِى ضَلَٰلٍ وَسُعُرٍ﴿٢٤﴾ أَءُلْقِىَ ٱلذِّكْرُ عَلَيْهِ مِنۢ بَيْنِنَا بَلْ هُوَ كَذَّابٌ أَشِرٌ﴿٢٥﴾ سَيَعْلَمُونَ غَدًا مَّنِ ٱلْكَذَّابُ ٱلْأَشِرُ﴿٢٦﴾ إِنَّا مُرْسِلُوا۟ ٱلنَّاقَةِ فِتْنَةً لَّهُمْ فَٱرْتَقِبْهُمْ وَٱصْطَبِرْ﴿٢٧﴾ وَنَبِّئْهُمْ أَنَّ ٱلْمَآءَ قِسْمَةٌۢ بَيْنَهُمْ كُلُّ شِرْبٍ مُّحْتَضَرٌ﴿٢٨﴾ فَنَادَوْا۟ صَاحِبَهُمْ فَتَعَاطَىٰ فَعَقَرَ﴿٢٩﴾ فَكَيْفَ كَانَ عَذَابِى وَنُذُرِ﴿٣٠﴾ إِنَّآ أَرْسَلْنَا عَلَيْهِمْ صَيْحَةً وَٰحِدَةً فَكَانُوا۟ كَهَشِيمِ ٱلْمُحْتَظِرِ﴿٣١﴾ (क़ौम) समूद ने डराने वाले (पैग़म्बरों) को झुठलाया तो कहने लगे कि भला एक आदमी की जो हम ही में से हो उसकी पैरवीं करें ऐसा करें तो गुमराही और दीवानगी में पड़ गए क्या हम सबमें बस उसी पर वही नाज़िल हुई है (नहीं) बल्कि ये तो बड़ा झूठा तअल्ली करने वाला है उनको अनक़रीब कल ही मालूम हो जाएगा कि कौन बड़ा झूठा तकब्बुर करने वाला है (ऐ सालेह) हम उनकी आज़माइश के लिए ऊँटनी भेजने वाले हैं तो तुम उनको देखते रहो और (थोड़ा) सब्र करो और उनको ख़बर कर दो कि उनमें पानी की बारी मुक़र्रर कर दी गयी है हर (बारी वाले को अपनी) बारी पर हाज़िर होना चाहिए तो उन लोगों ने अपने रफीक़ (क़ेदार) को बुलाया तो उसने पकड़ कर (ऊँटनी की) कूंचे काट डालीं तो (देखो) मेरा अज़ाब और डराना कैसा था हमने उन पर एक सख्त चिंघाड़ (का अज़ाब) भेज दिया तो वह बाड़े वालो के सूखे हुए चूर चूर भूसे की तरह हो गए | ||