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BackSurat Al-Qamar (The Moon) - القمر

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54:33

كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوطٍۭ بِٱلنُّذُرِ ﴿٣٣﴾ إِنَّآ أَرْسَلْنَا عَلَيْهِمْ حَاصِبًا إِلَّآ ءَالَ لُوطٍ نَّجَّيْنَٰهُم بِسَحَرٍ﴿٣٤﴾ نِّعْمَةً مِّنْ عِندِنَا كَذَٰلِكَ نَجْزِى مَن شَكَرَ﴿٣٥﴾ وَلَقَدْ أَنذَرَهُم بَطْشَتَنَا فَتَمَارَوْا۟ بِٱلنُّذُرِ﴿٣٦﴾ وَلَقَدْ رَٰوَدُوهُ عَن ضَيْفِهِۦ فَطَمَسْنَآ أَعْيُنَهُمْ فَذُوقُوا۟ عَذَابِى وَنُذُرِ﴿٣٧﴾ وَلَقَدْ صَبَّحَهُم بُكْرَةً عَذَابٌ مُّسْتَقِرٌّ﴿٣٨﴾ فَذُوقُوا۟ عَذَابِى وَنُذُرِ﴿٣٩﴾

लूत की क़ौम ने भी डराने वाले (पैग़म्बरों) को झुठलाया तो हमने उन पर कंकर भरी हवा चलाई मगर लूत के लड़के बाले को हमने उनको अपने फज़ल व करम से पिछले ही को बचा लिया हम शुक्र करने वालों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं और लूत ने उनको हमारी पकड़ से भी डराया था मगर उन लोगों ने डराते ही में शक़ किया और उनसे उनके मेहमान (फ़रिश्ते) के बारे में नाजायज़ मतलब की ख्वाहिश की तो हमने उनकी ऑंखें अन्धी कर दीं तो मेरे अज़ाब और डराने का मज़ा चखो और सुबह सवेरे ही उन पर अज़ाब आ गया जो किसी तरह टल ही नहीं सकता था तो मेरे अज़ाब और डराने के (पड़े) मज़े चखो

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