Surat Al-Qamar (The Moon) - القمر
Home > > >
54:5 حِكْمَةٌۢ بَٰلِغَةٌ فَمَا تُغْنِ ٱلنُّذُرُ ﴿٥﴾ और इन्तेहा दर्जे की दानाई मगर (उनको तो) डराना कुछ फ़ायदा नहीं देता | ||
54:5 حِكْمَةٌۢ بَٰلِغَةٌ فَمَا تُغْنِ ٱلنُّذُرُ ﴿٥﴾ और इन्तेहा दर्जे की दानाई मगर (उनको तो) डराना कुछ फ़ायदा नहीं देता | ||