Surat Al-Qamar (The Moon) - القمر
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54:6 فَتَوَلَّ عَنْهُمْ يَوْمَ يَدْعُ ٱلدَّاعِ إِلَىٰ شَىْءٍ نُّكُرٍ ﴿٦﴾ خُشَّعًا أَبْصَٰرُهُمْ يَخْرُجُونَ مِنَ ٱلْأَجْدَاثِ كَأَنَّهُمْ جَرَادٌ مُّنتَشِرٌ﴿٧﴾ مُّهْطِعِينَ إِلَى ٱلدَّاعِ يَقُولُ ٱلْكَٰفِرُونَ هَٰذَا يَوْمٌ عَسِرٌ﴿٨﴾ तो (ऐ रसूल) तुम भी उनसे किनाराकश रहो, जिस दिन एक बुलाने वाला (इसराफ़ील) एक अजनबी और नागवार चीज़ की तरफ़ बुलाएगा तो (निदामत से) ऑंखें नीचे किए हुए कब्रों से निकल पड़ेंगे गोया वह फैली हुई टिड्डियाँ हैं (और) बुलाने वाले की तरफ गर्दनें बढ़ाए दौड़ते जाते होंगे, कुफ्फ़ार कहेंगे ये तो बड़ा सख्त दिन है | ||