Surat Al-Waaqia (The Inevitable) - الواقعة
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56:40 وَثُلَّةٌ مِّنَ ٱلْءَاخِرِينَ ﴿٤٠﴾ وَأَصْحَٰبُ ٱلشِّمَالِ مَآ أَصْحَٰبُ ٱلشِّمَالِ﴿٤١﴾ فِى سَمُومٍ وَحَمِيمٍ﴿٤٢﴾ وَظِلٍّ مِّن يَحْمُومٍ﴿٤٣﴾ لَّا بَارِدٍ وَلَا كَرِيمٍ﴿٤٤﴾ إِنَّهُمْ كَانُوا۟ قَبْلَ ذَٰلِكَ مُتْرَفِينَ﴿٤٥﴾ وَكَانُوا۟ يُصِرُّونَ عَلَى ٱلْحِنثِ ٱلْعَظِيمِ﴿٤٦﴾ وَكَانُوا۟ يَقُولُونَ أَئِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَٰمًا أَءِنَّا لَمَبْعُوثُونَ﴿٤٧﴾ أَوَءَابَآؤُنَا ٱلْأَوَّلُونَ﴿٤٨﴾ قُلْ إِنَّ ٱلْأَوَّلِينَ وَٱلْءَاخِرِينَ﴿٤٩﴾ لَمَجْمُوعُونَ إِلَىٰ مِيقَٰتِ يَوْمٍ مَّعْلُومٍ﴿٥٠﴾ ثُمَّ إِنَّكُمْ أَيُّهَا ٱلضَّآلُّونَ ٱلْمُكَذِّبُونَ﴿٥١﴾ لَءَاكِلُونَ مِن شَجَرٍ مِّن زَقُّومٍ﴿٥٢﴾ فَمَالِـُٔونَ مِنْهَا ٱلْبُطُونَ﴿٥٣﴾ فَشَٰرِبُونَ عَلَيْهِ مِنَ ٱلْحَمِيمِ﴿٥٤﴾ فَشَٰرِبُونَ شُرْبَ ٱلْهِيمِ﴿٥٥﴾ और बहुत से पिछले लोगों में से और बाएं हाथ (में नामए आमाल लेने) वाले (अफसोस) बाएं हाथ वाले क्या (मुसीबत में) हैं (दोज़ख़ की) लौ और खौलते हुए पानी और काले सियाह धुएँ के साये में होंगे जो न ठन्डा और न ख़ुश आइन्द ये लोग इससे पहले (दुनिया में) ख़ूब ऐश उड़ा चुके थे और बड़े गुनाह (शिर्क) पर अड़े रहते थे और कहा करते थे कि भला जब हम मर जाएँगे और (सड़ गल कर) मिटटी और हडिडयाँ (ही हडिडयाँ) रह जाएँगे तो क्या हमें या हमारे अगले बाप दादाओं को फिर उठना है (ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगले और पिछले सब के सब रोजे मुअय्यन की मियाद पर ज़रूर इकट्ठे किए जाएँगे फिर तुमको बेशक ऐ गुमराहों झुठलाने वालों यक़ीनन (जहन्नुम में) थोहड़ के दरख्तों में से खाना होगा तो तुम लोगों को उसी से (अपना) पेट भरना होगा फिर उसके ऊपर खौलता हुआ पानी पीना होगा और पियोगे भी तो प्यासे ऊँट का सा (डग डगा के) पीना | ||