Surat Al-Waaqia (The Inevitable) - الواقعة
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56:83 فَلَوْلَآ إِذَا بَلَغَتِ ٱلْحُلْقُومَ ﴿٨٣﴾ وَأَنتُمْ حِينَئِذٍ تَنظُرُونَ﴿٨٤﴾ وَنَحْنُ أَقْرَبُ إِلَيْهِ مِنكُمْ وَلَٰكِن لَّا تُبْصِرُونَ﴿٨٥﴾ فَلَوْلَآ إِن كُنتُمْ غَيْرَ مَدِينِينَ﴿٨٦﴾ تَرْجِعُونَهَآ إِن كُنتُمْ صَٰدِقِينَ﴿٨٧﴾ तो क्या जब जान गले तक पहुँचती है और तुम उस वक्त (क़ी हालत) पड़े देखा करते हो और हम इस (मरने वाले) से तुमसे भी ज्यादा नज़दीक होते हैं लेकिन तुमको दिखाई नहीं देता तो अगर तुम किसी के दबाव में नहीं हो तो अगर (अपने दावे में) तुम सच्चे हो तो रूह को फेर क्यों नहीं देते | ||