Surat At-Taghaabun (Mutual Disillusion) - التغابن
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64:16 فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ مَا ٱسْتَطَعْتُمْ وَٱسْمَعُوا۟ وَأَطِيعُوا۟ وَأَنفِقُوا۟ خَيْرًا لِّأَنفُسِكُمْ وَمَن يُوقَ شُحَّ نَفْسِهِۦ فَأُو۟لَٰٓئِكَ هُمُ ٱلْمُفْلِحُونَ ﴿١٦﴾ إِن تُقْرِضُوا۟ ٱللَّهَ قَرْضًا حَسَنًا يُضَٰعِفْهُ لَكُمْ وَيَغْفِرْ لَكُمْ وَٱللَّهُ شَكُورٌ حَلِيمٌ﴿١٧﴾ तो जहाँ तक तुम से हो सके ख़ुदा से डरते रहो और (उसके एहकाम) सुनो और मानों और अपनी बेहतरी के वास्ते (उसकी राह में) ख़र्च करो और जो शख़्श अपने नफ्स की हिरस से बचा लिया गया तो ऐसे ही लोग मुरादें पाने वाले हैं अगर तुम ख़ुदा को कर्जे हसना दोगे तो वह उसको तुम्हारे वास्ते दूना कर देगा और तुमको बख्श देगा और ख़ुदा तो बड़ा क़द्रदान व बुर्दबार है | ||