Surat Al-A'raaf (The Heights) - الأعراف
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7:100 أَوَلَمْ يَهْدِ لِلَّذِينَ يَرِثُونَ ٱلْأَرْضَ مِنۢ بَعْدِ أَهْلِهَآ أَن لَّوْ نَشَآءُ أَصَبْنَٰهُم بِذُنُوبِهِمْ وَنَطْبَعُ عَلَىٰ قُلُوبِهِمْ فَهُمْ لَا يَسْمَعُونَ ﴿١٠٠﴾ تِلْكَ ٱلْقُرَىٰ نَقُصُّ عَلَيْكَ مِنْ أَنۢبَآئِهَا وَلَقَدْ جَآءَتْهُمْ رُسُلُهُم بِٱلْبَيِّنَٰتِ فَمَا كَانُوا۟ لِيُؤْمِنُوا۟ بِمَا كَذَّبُوا۟ مِن قَبْلُ كَذَٰلِكَ يَطْبَعُ ٱللَّهُ عَلَىٰ قُلُوبِ ٱلْكَٰفِرِينَ﴿١٠١﴾ وَمَا وَجَدْنَا لِأَكْثَرِهِم مِّنْ عَهْدٍ وَإِن وَجَدْنَآ أَكْثَرَهُمْ لَفَٰسِقِينَ﴿١٠٢﴾ ثُمَّ بَعَثْنَا مِنۢ بَعْدِهِم مُّوسَىٰ بِـَٔايَٰتِنَآ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ وَمَلَإِي۟هِۦ فَظَلَمُوا۟ بِهَا فَٱنظُرْ كَيْفَ كَانَ عَٰقِبَةُ ٱلْمُفْسِدِينَ﴿١٠٣﴾ وَقَالَ مُوسَىٰ يَٰفِرْعَوْنُ إِنِّى رَسُولٌ مِّن رَّبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ﴿١٠٤﴾ حَقِيقٌ عَلَىٰٓ أَن لَّآ أَقُولَ عَلَى ٱللَّهِ إِلَّا ٱلْحَقَّ قَدْ جِئْتُكُم بِبَيِّنَةٍ مِّن رَّبِّكُمْ فَأَرْسِلْ مَعِىَ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ﴿١٠٥﴾ قَالَ إِن كُنتَ جِئْتَ بِـَٔايَةٍ فَأْتِ بِهَآ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّٰدِقِينَ﴿١٠٦﴾ فَأَلْقَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِىَ ثُعْبَانٌ مُّبِينٌ﴿١٠٧﴾ وَنَزَعَ يَدَهُۥ فَإِذَا هِىَ بَيْضَآءُ لِلنَّٰظِرِينَ﴿١٠٨﴾ قَالَ ٱلْمَلَأُ مِن قَوْمِ فِرْعَوْنَ إِنَّ هَٰذَا لَسَٰحِرٌ عَلِيمٌ﴿١٠٩﴾ يُرِيدُ أَن يُخْرِجَكُم مِّنْ أَرْضِكُمْ فَمَاذَا تَأْمُرُونَ﴿١١٠﴾ क्या जो लोग अहले ज़मीन के बाद ज़मीन के वारिस (व मालिक) होते हैं उन्हें ये मालूम नहीं कि अगर हम चाहते तो उनके गुनाहों की बदौलत उनको मुसीबत में फँसा देते (मगर ये लोग ऐसे नासमझ हैं कि गोया) उनके दिलों पर हम ख़ुद (मोहर कर देते हैं कि ये लोग कुछ सुनते ही नहीं (ऐ रसूल) ये चन्द बस्तियाँ हैं जिन के हालात हम तुमसे बयान करते हैं और इसमें तो शक़ ही नहीं कि उनके पैग़म्बर उनके पास वाजेए व रौशन मौजिज़े लेकर आए मगर ये लोग जिसके पहले झुठला चुके थे उस पर भला काहे को ईमान लाने वाले थे ख़ुदा यूं काफिरों के दिलों पर अलामत मुकर्रर कर देता है (कि ये ईमान न लाएँगें) और हमने तो उसमें से अक्सरों का एहद (ठीक) न पाया और हमने उनमें से अक्सरों को बदकार ही पाया फिर हमने (उन पैग़म्बरान मज़कूरीन के बाद) मूसा को फिरऔन और उसके सरदारों के पास मौजिज़े अता करके (रसूल बनाकर) भेजा तो उन लोगों ने उन मौजिज़ात के साथ (बड़ी बड़ी) शरारतें की पस ज़रा ग़ौर तो करो कि आख़िर फसादियों का अन्जाम क्या हुआ और मूसा ने (फिरऔन से) कहा ऐ फिरऔनमें यक़ीनन परवरदिगारे आलम का रसूल हूँ मुझ पर वाजिब है कि ख़ुदा पर सच के सिवा (एक हुरमत भी झूठ) न कहूँ मै यक़ीनन तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से वाजेए व रोशन मौजिज़े लेकर आया हूँ तो तू बनी ईसराइल को मेरे हमराह करे दे फिरऔन कहने लगा अगर तुम सच्चे हो और वाक़ई कोई मौजिज़ा लेकर आए हो तो उसे दिखाओ (ये सुनते ही) मूसा ने अपनी छड़ी (ज़मीन पर) डाल दी पस वह यकायक (अच्छा खासा) ज़ाहिर बज़ाहिर अजदहा बन गई और अपना हाथ बाहर निकाला तो क्या देखते है कि वह हर शख़्श की नज़र मे जगमगा रहा है तब फिरऔन के क़ौम के चन्द सरदारों ने कहा ये तो अलबत्ता बड़ा माहिर जादूगर है ये चाहता है कि तुम्हें तुम्हारें मुल्क से निकाल बाहर कर दे तो अब तुम लोग उसके बारे में क्या सलाह देते हो | ||