Surat Al-A'raaf (The Heights) - الأعراف
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7:114 قَالَ نَعَمْ وَإِنَّكُمْ لَمِنَ ٱلْمُقَرَّبِينَ ﴿١١٤﴾ قَالُوا۟ يَٰمُوسَىٰٓ إِمَّآ أَن تُلْقِىَ وَإِمَّآ أَن نَّكُونَ نَحْنُ ٱلْمُلْقِينَ﴿١١٥﴾ قَالَ أَلْقُوا۟ فَلَمَّآ أَلْقَوْا۟ سَحَرُوٓا۟ أَعْيُنَ ٱلنَّاسِ وَٱسْتَرْهَبُوهُمْ وَجَآءُو بِسِحْرٍ عَظِيمٍ﴿١١٦﴾ وَأَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنْ أَلْقِ عَصَاكَ فَإِذَا هِىَ تَلْقَفُ مَا يَأْفِكُونَ﴿١١٧﴾ فَوَقَعَ ٱلْحَقُّ وَبَطَلَ مَا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ﴿١١٨﴾ فَغُلِبُوا۟ هُنَالِكَ وَٱنقَلَبُوا۟ صَٰغِرِينَ﴿١١٩﴾ وَأُلْقِىَ ٱلسَّحَرَةُ سَٰجِدِينَ﴿١٢٠﴾ قَالُوٓا۟ ءَامَنَّا بِرَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ﴿١٢١﴾ رَبِّ مُوسَىٰ وَهَٰرُونَ﴿١٢٢﴾ قَالَ فِرْعَوْنُ ءَامَنتُم بِهِۦ قَبْلَ أَنْ ءَاذَنَ لَكُمْ إِنَّ هَٰذَا لَمَكْرٌ مَّكَرْتُمُوهُ فِى ٱلْمَدِينَةِ لِتُخْرِجُوا۟ مِنْهَآ أَهْلَهَا فَسَوْفَ تَعْلَمُونَ﴿١٢٣﴾ फिरऔन ने कहा (हॉ इनाम ही नहीं) बल्कि फिर तो तुम हमारे दरबार के मुक़र्रेबीन में से होगें और मुक़र्रर वक्त पर सब जमा हुए तो बोल उठे कि ऐ मूसा या तो तुम्हें (अपने मुन्तसिर (मंत्र)) या हम ही (अपने अपने मंत्र फेके) मूसा ने कहा (अच्छा पहले) तुम ही फेक (के अपना हौसला निकालो) तो तब जो ही उन लोगों ने (अपनी रस्सियाँ) डाली तो लोगों की नज़र बन्दी कर दी (कि सब सापँ मालूम होने लगे) और लोगों को डरा दिया और उन लोगों ने बड़ा (भारी जादू दिखा दिया और हमने मूसा के पास वही भेजी कि (बैठे क्या हो) तुम भी अपनी छड़ी डाल दो तो क्या देखते हैं कि वह छड़ी उनके बनाए हुए (झूठे साँपों को) एक एक करके निगल रही है अल किस्सा हक़ बात तो जम के बैठी और उनकी सारी कारस्तानी मटियामेट हो गई पस फिरऔन और उसके तरफदार सब के सब इस अखाड़े मे हारे और ज़लील व रूसवा हो के पलटे और जादूगर सब मूसा के सामने सजदे में गिर पड़े और (आजिज़ी से) बोले हम सारे जहाँन के परवरदिगार पर ईमान लाए जो मूसा व हारून का परवरदिगार है फिरऔन ने कहा (हाए) तुम लोग मेरी इजाज़त के क़ब्ल (पहले) उस पर ईमान ले आए ये ज़रूर तुम लोगों की मक्कारी है जो तुम लोगों ने उस शहर में फैला रखी है ताकि उसके बाशिन्दों को यहाँ से निकाल कर बाहर करो पस तुम्हें अन क़रीब ही उस शरारत का मज़ा मालूम हो जाएगा | ||