Surat Al-Ma'aarij (The Ascending Stairways) - المعارج
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70:8 يَوْمَ تَكُونُ ٱلسَّمَآءُ كَٱلْمُهْلِ ﴿٨﴾ وَتَكُونُ ٱلْجِبَالُ كَٱلْعِهْنِ﴿٩﴾ وَلَا يَسْـَٔلُ حَمِيمٌ حَمِيمًا﴿١٠﴾ يُبَصَّرُونَهُمْ يَوَدُّ ٱلْمُجْرِمُ لَوْ يَفْتَدِى مِنْ عَذَابِ يَوْمِئِذٍۭ بِبَنِيهِ﴿١١﴾ وَصَٰحِبَتِهِۦ وَأَخِيهِ﴿١٢﴾ وَفَصِيلَتِهِ ٱلَّتِى تُـْٔوِيهِ﴿١٣﴾ وَمَن فِى ٱلْأَرْضِ جَمِيعًا ثُمَّ يُنجِيهِ﴿١٤﴾ जिस दिन आसमान पिघले हुए ताँबे का सा हो जाएगा और पहाड़ धुनके हुए ऊन का सा बावजूद कि एक दूसरे को देखते होंगे कोई किसी दोस्त को न पूछेगा गुनेहगार तो आरज़ू करेगा कि काश उस दिन के अज़ाब के बदले उसके बेटों और उसकी बीवी और उसके भाई और उसके कुनबे को जिसमें वह रहता था और जितने आदमी ज़मीन पर हैं सब को ले ले और उसको छुटकारा दे दें | ||