Surat Al-Insaan (Man) - الانسان
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76:11 فَوَقَىٰهُمُ ٱللَّهُ شَرَّ ذَٰلِكَ ٱلْيَوْمِ وَلَقَّىٰهُمْ نَضْرَةً وَسُرُورًا ﴿١١﴾ وَجَزَىٰهُم بِمَا صَبَرُوا۟ جَنَّةً وَحَرِيرًا﴿١٢﴾ مُّتَّكِـِٔينَ فِيهَا عَلَى ٱلْأَرَآئِكِ لَا يَرَوْنَ فِيهَا شَمْسًا وَلَا زَمْهَرِيرًا﴿١٣﴾ وَدَانِيَةً عَلَيْهِمْ ظِلَٰلُهَا وَذُلِّلَتْ قُطُوفُهَا تَذْلِيلًا﴿١٤﴾ وَيُطَافُ عَلَيْهِم بِـَٔانِيَةٍ مِّن فِضَّةٍ وَأَكْوَابٍ كَانَتْ قَوَارِيرَا۠﴿١٥﴾ قَوَارِيرَا۟ مِن فِضَّةٍ قَدَّرُوهَا تَقْدِيرًا﴿١٦﴾ وَيُسْقَوْنَ فِيهَا كَأْسًا كَانَ مِزَاجُهَا زَنجَبِيلًا﴿١٧﴾ عَيْنًا فِيهَا تُسَمَّىٰ سَلْسَبِيلًا﴿١٨﴾ وَيَطُوفُ عَلَيْهِمْ وِلْدَٰنٌ مُّخَلَّدُونَ إِذَا رَأَيْتَهُمْ حَسِبْتَهُمْ لُؤْلُؤًا مَّنثُورًا﴿١٩﴾ وَإِذَا رَأَيْتَ ثَمَّ رَأَيْتَ نَعِيمًا وَمُلْكًا كَبِيرًا﴿٢٠﴾ عَٰلِيَهُمْ ثِيَابُ سُندُسٍ خُضْرٌ وَإِسْتَبْرَقٌ وَحُلُّوٓا۟ أَسَاوِرَ مِن فِضَّةٍ وَسَقَىٰهُمْ رَبُّهُمْ شَرَابًا طَهُورًا﴿٢١﴾ إِنَّ هَٰذَا كَانَ لَكُمْ جَزَآءً وَكَانَ سَعْيُكُم مَّشْكُورًا﴿٢٢﴾ तो ख़ुदा उन्हें उस दिन की तकलीफ़ से बचा लेगा और उनको ताज़गी और ख़ुशदिली अता फरमाएगा और उनके सब्र के बदले (बेहिश्त के) बाग़ और रेशम (की पोशाक) अता फ़रमाएगा वहाँ वह तख्तों पर तकिए लगाए (बैठे) होंगे न वहाँ (आफताब की) धूप देखेंगे और न शिद्दत की सर्दी और घने दरख्तों के साए उन पर झुके हुए होंगे और मेवों के गुच्छे उनके बहुत क़रीब हर तरह उनके एख्तेयार में और उनके सामने चाँदी के साग़र और शीशे के निहायत शफ्फ़ाफ़ गिलास का दौर चल रहा होगा और शीशे भी (काँच के नहीं) चाँदी के जो ठीक अन्दाज़े के मुताबिक बनाए गए हैं और वहाँ उन्हें ऐसी शराब पिलाई जाएगी जिसमें जनजबील (के पानी) की आमेज़िश होगी ये बेहश्त में एक चश्मा है जिसका नाम सलसबील है और उनके सामने हमेशा एक हालत पर रहने वाले नौजवाल लड़के चक्कर लगाते होंगे कि जब तुम उनको देखो तो समझो कि बिखरे हुए मोती हैं और जब तुम वहाँ निगाह उठाओगे तो हर तरह की नेअमत और अज़ीमुश शान सल्तनत देखोगे उनके ऊपर सब्ज़ क्रेब और अतलस की पोशाक होगी और उन्हें चाँदी के कंगन पहनाए जाएँगे और उनका परवरदिगार उन्हें निहायत पाकीज़ा शराब पिलाएगा ये यक़ीनी तुम्हारे लिए होगा और तुम्हारी (कारगुज़ारियों के) सिले में और तुम्हारी कोशिश क़ाबिले शुक्र गुज़ारी है | ||