Surat An-Naazi'aat (Those who drag forth) - النازعات
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79:14 فَإِذَا هُم بِٱلسَّاهِرَةِ ﴿١٤﴾ هَلْ أَتَىٰكَ حَدِيثُ مُوسَىٰٓ﴿١٥﴾ إِذْ نَادَىٰهُ رَبُّهُۥ بِٱلْوَادِ ٱلْمُقَدَّسِ طُوًى﴿١٦﴾ ٱذْهَبْ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ﴿١٧﴾ فَقُلْ هَل لَّكَ إِلَىٰٓ أَن تَزَكَّىٰ﴿١٨﴾ وَأَهْدِيَكَ إِلَىٰ رَبِّكَ فَتَخْشَىٰ﴿١٩﴾ فَأَرَىٰهُ ٱلْءَايَةَ ٱلْكُبْرَىٰ﴿٢٠﴾ فَكَذَّبَ وَعَصَىٰ﴿٢١﴾ ثُمَّ أَدْبَرَ يَسْعَىٰ﴿٢٢﴾ فَحَشَرَ فَنَادَىٰ﴿٢٣﴾ और लोग शक़ बारगी एक मैदान (हश्र) में मौजूद होंगे (ऐ रसूल) क्या तुम्हारे पास मूसा का किस्सा भी पहुँचा है जब उनको परवरदिगार ने तूवा के मैदान में पुकारा कि फिरऔन के पास जाओ वह सरकश हो गया है (और उससे) कहो कि क्या तेरी ख्वाहिश है कि (कुफ्र से) पाक हो जाए और मैं तुझे तेरे परवरदिगार की राह बता दूँ तो तुझको ख़ौफ (पैदा) हो ग़रज़ मूसा ने उसे (असा का बड़ा) मौजिज़ा दिखाया तो उसने झुठला दिया और न माना फिर पीठ फेर कर (ख़िलाफ़ की) तदबीर करने लगा फिर (लोगों को) जमा किया और बुलन्द आवाज़ से चिल्लाया | ||