Surat Al-Anfaal (The Spoils of War) - الأنفال
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8:1 بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ يَسْـَٔلُونَكَ عَنِ ٱلْأَنفَالِ قُلِ ٱلْأَنفَالُ لِلَّهِ وَٱلرَّسُولِ فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَصْلِحُوا۟ ذَاتَ بَيْنِكُمْ وَأَطِيعُوا۟ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥٓ إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ ﴿١﴾ إِنَّمَا ٱلْمُؤْمِنُونَ ٱلَّذِينَ إِذَا ذُكِرَ ٱللَّهُ وَجِلَتْ قُلُوبُهُمْ وَإِذَا تُلِيَتْ عَلَيْهِمْ ءَايَٰتُهُۥ زَادَتْهُمْ إِيمَٰنًا وَعَلَىٰ رَبِّهِمْ يَتَوَكَّلُونَ﴿٢﴾ ٱلَّذِينَ يُقِيمُونَ ٱلصَّلَوٰةَ وَمِمَّا رَزَقْنَٰهُمْ يُنفِقُونَ﴿٣﴾ أُو۟لَٰٓئِكَ هُمُ ٱلْمُؤْمِنُونَ حَقًّا لَّهُمْ دَرَجَٰتٌ عِندَ رَبِّهِمْ وَمَغْفِرَةٌ وَرِزْقٌ كَرِيمٌ﴿٤﴾ كَمَآ أَخْرَجَكَ رَبُّكَ مِنۢ بَيْتِكَ بِٱلْحَقِّ وَإِنَّ فَرِيقًا مِّنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ لَكَٰرِهُونَ﴿٥﴾ (ऐ रसूल) तुम से लोग अनफाल (माले ग़नीमत) के बारे में पूछा करते हैं तुम कह दो कि अनफाल मख़सूस ख़ुदा और रसूल के वास्ते है तो ख़ुदा से डरो (और) अपने बाहमी (आपसी) मामलात की इसलाह करो और अगर तुम सच्चे (ईमानदार) हो तो ख़ुदा की और उसके रसूल की इताअत करो सच्चे ईमानदार तो बस वही लोग हैं कि जब (उनके सामने) ख़ुदा का ज़िक्र किया जाता है तो उनके दिल हिल जाते हैं और जब उनके सामने उसकी आयतें पढ़ी जाती हैं तो उनके ईमान को और भी ज्यादा कर देती हैं और वह लोग बस अपने परवरदिगार ही पर भरोसा रखते हैं नमाज़ को पाबन्दी से अदा करते हैं और जो हम ने उन्हें दिया हैं उसमें से (राहे ख़ुदा में) ख़र्च करते हैं यही तो सच्चे ईमानदार हैं उन्हीं के लिए उनके परवरदिगार के हॉ (बड़े बड़े) दरजे हैं और बख्शिश और इज्ज़त और आबरू के साथ रोज़ी है (ये माले ग़नीमत का झगड़ा वैसा ही है) जिस तरह तुम्हारे परवरदिगार ने तुम्हें बिल्कुल ठीक (मसलहत से) तुम्हारे घर से (जंग बदर) में निकाला था और मोमिनीन का एक गिरोह (उससे) नाखुश था | ||