Surat Abasa (He frowned) - عبس
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80:1 بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ عَبَسَ وَتَوَلَّىٰٓ ﴿١﴾ أَن جَآءَهُ ٱلْأَعْمَىٰ﴿٢﴾ وَمَا يُدْرِيكَ لَعَلَّهُۥ يَزَّكَّىٰٓ﴿٣﴾ أَوْ يَذَّكَّرُ فَتَنفَعَهُ ٱلذِّكْرَىٰٓ﴿٤﴾ أَمَّا مَنِ ٱسْتَغْنَىٰ﴿٥﴾ فَأَنتَ لَهُۥ تَصَدَّىٰ﴿٦﴾ وَمَا عَلَيْكَ أَلَّا يَزَّكَّىٰ﴿٧﴾ وَأَمَّا مَن جَآءَكَ يَسْعَىٰ﴿٨﴾ وَهُوَ يَخْشَىٰ﴿٩﴾ فَأَنتَ عَنْهُ تَلَهَّىٰ﴿١٠﴾ वह अपनी बात पर चीं ब जबीं हो गया और मुँह फेर बैठा कि उसके पास नाबीना आ गया और तुमको क्या मालूम यायद वह (तालीम से) पाकीज़गी हासिल करता या वह नसीहत सुनता तो नसीहत उसके काम आती तो जो कुछ परवाह नहीं करता उसके तो तुम दरपै हो जाते हो हालॉकि अगर वह न सुधरे तो तुम ज़िम्मेदार नहीं और जो तुम्हारे पास लपकता हुआ आता है और (ख़ुदा से) डरता है तो तुम उससे बेरूख़ी करते हो | ||